संजय तोमर। दिल्ली।
बुराड़ी विधान सभा क्षेत्र में वर्षों से समाजसेवा कर रहे दीपक गुप्ता किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वह क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। बुराड़ी क्षेत्र की समस्याओं को विभिन्न मंचों से उठाते भी आए हैं। साफ़ सुथरी छवि के दीपक गुप्ता एक कर्मठ, मेहनती, मिलनसार और बिना लाग लपेट के अपनी बात कहने वाले इंसान हैं। वर्तमान में दीपक गुप्ता बीजेपी नेता हैं और उत्तरी पूर्वी ज़िला संगठन में स्वच्छता अभियान ज़िला प्रमुख की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
बुराड़ी क्षेत्र में स्वच्छ अभियान की धीमी गति को लेकर इनसाइड ख़बर ने उनसे बातचीत की। पेश हैं बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:
इनसाइड ख़बर - आपका बहुत बहुत स्वागत।
दीपक गुप्ता - धन्यवाद।
इनसाइड ख़बर - ये बताइए कि जिस जोर शोर से स्वच्छता अभियान की शुरूआत हुई थी, वह गति आज बहुत धीमी पड़ गई है। इसके पीछे क्या कारण हैं?
दीपक गुप्ता - देखिए, गांधीजी स्वच्छता को बहुत महत्व देते थे। माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा उनकी जंयती पर इस अभियान की शुरूआत की गई थी। भारत में स्वच्छता को लेकर लोगों की जागरूकता मे काफ़ी बढ़ोत्तरी हुई है। जिस स्तर पर इस अभियान की शुरूआत हुई थी, लग रहा था कि भारतवर्ष जल्द ही गंदगी मुक्त हो जाएगा। चारों तरफ साफ़ सफाई और हरियाली होगी लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कुछ नेताओं की डर्टी पॉलिटिक्स की वजह से इस आभियान को ब्रेक लग गया।
इनसाइड ख़बर - आप तो स्पष्टवादी इंसान हैं। साफ़ साफ़ कहिए। किसकी तरफ़ इशारा है?
दीपक गुप्ता - आज सारी दिल्ली जानती है कि केजरिवाल की डर्टी पॉलिटिक्स की वज़ह से यहां की जनता परेशान है। दिल्ली को दुर्भाग्य से ऐसा सी एम मिला है जिसे काम करवाने के बजाय क्रेडिट लेने की भूख है। इसलिए पूरी दिल्ली में विकास के नाम पर विनाश कर दिया गया है। विकास सिर्फ़ विज्ञापनों में ही नज़र आता है। एक बात बताइए, जब केजरीवाल केंद्र से फंड लेकर नगर निगम को नहीं देंगे तो दिल्ली में साफ़ सफाई कैसे होगी? आप बुराड़ी को ही लीजिए, इतनी बड़ी आबादी पर केवल दो कूड़ाघर हैं। कचरा इधर उधर, बिखरा पड़ा रहता है। दिल्ली सरकार जब चाहे निगमकर्मियों की सैलरी रोक लेती है। फ़िर, दिल्ली साफ़ सुथरी हो, तो हो कैसे? इसी कारण स्वच्छ अभियान की मुहिम धीमी पड़ गई।
इनसाइड ख़बर - आप हाल ही में यमुना की साफ़ सफाई को लेकर काफ़ी एक्टिव दिखे। सरकार के अपने दावे हैं यमुना की सफाई को लेकर। लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ होता दिख नहीं रहा। क्या कहेंगे?
दीपक गुप्ता - बात तो सही है लेकिन हम अपने स्तर से जितना प्रयास कर सकते हैं, कर रहे हैं। दिल्ली सरकार ने 6 साल में 607 करोड़ रुपए लिए केंद्र सरकार से, यमुना सफाई के नाम पर। खास कुछ किया नहीं। अब आप यमुना किनारे बने राम घाट को ही ले लीजिए। 1500 साल पुरानी ऐतिहासिक विरासत है लेकिन एक पेशाबघर तक नहीं है वहां। तो इस तरह के मुद्दे मै उठाता आ रहा हूं। नालों की साफ़ सफाई का मामला हो या सड़कों पर फैली गंदगी का, मैं अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए, जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाता भी रहूंगा और इन समस्याओं को दूर करने के लिए जो भी प्रयास करने होंगे, वो करूंगा।
इनसाइड ख़बर - बुराड़ी क्षेत्र में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है। ऐसे में स्वच्छ अभियान के क्या मायने हैं?
दीपक गुप्ता - देखिए, ये नया मुद्दा नहीं है। इसे तो मैं कब से उठाता आ रहा हूं। दिल्ली में सरकार है आम आदमी पार्टी की और बाढ़ नियंत्रण विभाग दिल्ली सरकार के पास है। बुराड़ी में अधिकतर जमीन इसी विभाग के पास है। इसके बावजूद पूरी विधानसभा में दिल्ली सरकार की तरफ़ से एक भी शौचालय नहीं है। एम सी डी शौचालय बनवाने के लिए कोई जगह यदि चिन्हित भी करती है तो उस जगह को फ्लड विभाग या डी डी ए की बताकर उसमे रोड़े अटकाए जाते हैं। आप यकीन नहीं करेंगे कि बुराड़ी अथॉरिटी के आस पास भी कोई सार्वजनिक शौचालय नहीं है। ये बुराड़ी का दुर्भाग्य है कि यहां का विधायक काम नहीं करना चाहता वरना इस क्षेत्र में कई जगह शौचालयों का निमार्ण कराया जा सकता है। मैने इस कार्य के लिए हमारे मेयर साहब और प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता जी को प्रस्ताव भेजा है। मुझे उम्मीद है कि कुछ सार्थक नतीजे सामने आएंगे।
इनसाइड ख़बर - आप दिल्ली सरकार पर एम सी डी को फंड न देने का आरोप लगा रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि एम सी डी पहले अपने यहां का भ्रष्टाचार रोके तब फंड मिलेगा। वर्ना वो फंड भी करप्शन की भेंट चढ़ जाएगा। इस बारे में आप क्या कहेंगे?
दीपक गुप्ता - केजरीवाल इस तरह का ड्रामा सिर्फ़ वोट बैंक की राजनीति के लिए करते आए हैं वरना कोई बताए कि दिल्ली का किसान खेती से अपना पेट नहीं पाल सकता। वह अपनी जमीन किसी डवलपर को बेच देता है। इस जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए दिल्ली सरकार स्टांप ड्यूटी वसूलती है। विधायक वहां सड़क बनवाता है। बिजली के खंबे गाड़े जाते हैं लेकिन जब बात खरीददार के मालिकाना हक़ की आती है तो उस कॉलोनी को ही अनाधिकृत कह दिया जाता है। अब दिल्ली की आप सरकार से कोई पूछे कि डी डी ए की जमीन पर जगह जगह जो झुग्गियां बसी हैं, क्या वे अनऑथराइज्ड नहीं है? वहां पर कैसे मालिकाना हक़ दे दिया जाता है? वहां नक्शे पास कर दिए जाते हैं। अगर केजरीवाल वाकई करप्शन ख़त्म करने को लेकर गंभीर है तो इन कॉलोनियों के भी नक्शे पास करें। इनमें बने घरों के नक्शे पास करें। ये करप्शन को ख़ुद बढ़ावा दे रहे हैं और ऊंगली निगम पार्षदों की ओर उठा रहे हैं। केजरीवाल की कुल जमा यही पॉलिटिक्स है।
इनसाइड ख़बर - बुराड़ी विधान सभा क्षेत्र की बात की जाए तो यहां मेन रोड, फुटपाथ बनाने से लेकर सौंदर्यकरण का काम लोगों को होता दिखाई दे रहा है लेकिन बीजेपी के पार्षद सफाई को लेकर उदासीन बने हुए हैं। इस बारे में आपका क्या कहना है?
दीपक गुप्ता - देखिए, दिल्ली सरकार के यहां जितने बड़े नाले हैं, सब गाद से अटे पड़े हैं। जाम हैं। कोई सफाई नहीं हुई। नालियों का कूड़ा कचरा कैसे साफ़ निकल सकता है यदि बड़े नाले ही जाम पड़े हों। नाले साफ़ हो जाएं तो नालियों में भी जाम की समस्या नहीं होगी। निगम पार्षद नालियों का कचरा निकलवाते भी हैं लेकिन समस्या ये है कि कचरे को डाले कहां? ले दे कर यहां दो डलावघर हैं। दिल्ली सरकार को कह कह के थक गए कि बुराड़ी में और कूड़ेघर बनवाएं जाएं लेकिन सरकार की नीयत ही नहीं है काम करवाने की। जनता इस सरकार की सब नौटंकी देख रही है और समय आने पर माकूल जवाब देगी।
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