संजय तोमर। दिल्ली में अवैध निर्माण नगर निगम के छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक की लूट कमाई का एक बड़ा स्रोत बन गए है। शहर की बिल्डर लॉबी बड़े ही संगठित तरीके से निगमकर्मियों के साथ मिल-जुल कर अवैध निर्माण का धंधा चलाती है।
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बुराड़ी वार्ड में निगम द्धारा तोड़ी गई इमारत |
राजधानी दिल्ली के बुराड़ी विधान सभा क्षेत्र में तो लगता है कि बड़े भारी खर्चे पर पाल-पोस कर रखा गया तोड़-फोड़ दस्ता वास्तव में तोड़-फोड़़ के लिये नहीं केवल बिल्डरों को नगर निगम की शक्तियों का अहसास कराने के लिये रखा गया है। बिल्डिंग में तोड़ फोड़ के नाम पर पुलिस की फजीहत मुफ्त में ही हो जाती है। बुराड़ी में शायद ही कोई ऐसा निर्माण हो, जिसे एम सी डी के दस्ते ने तोडऩे का नाट्क किया हो और वह बाद में पूरी तरह से सही-सलामत बन कर आबाद न हो गया हो। तोड़-फोड़ के नाम पर इमारत का छोटा-मोटा हिस्सा तोड़ दिया जाता है जो मरम्मत के बाद एकदम ठीक हो जाता है।
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इसी इमारत में फिर से जारी है निर्माण कार्य |
बुराड़ी में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल कर बिल्डिंग बनाने में बदनाम हो चुके खुराना बिल्डर की निर्माणाधीन इमारत में तोड़ फोड़ की कार्यवाई को कुछ समय पहले निगम द्धारा अंजाम दिया गया था, लेकिन आज उसी इमारत में फिर से निर्माण कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा है। सवाल यह है कि जब यह इमारत घटिया सामग्री का इस्तेमाल और अवैध निर्माण कर बननी ही है तो इसमें तोड़ फोड़ की कार्यवाई क्यों की गई?
साफ़ है कि इस क्षेत्र में नेताओं और निगम अफसरों का गठजोड़ खरीददारों की जान माल़ के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इस सारे खेल में सबसे ज्यादा जोखिम उस व्यक्ति का होता है जो अपने रहने के लिये उस अवैध इमारत में अपना घर खरीदता है, क्योंकि अवैध तो हमेशा अवैध ही रहेगा जिसे कभी भी कोई अधिकारी आकर तोड़ सकता है, अथवा तोडऩे की धमकी दे सकता है। ऐसे में भुगतना तो उस खरीदार को ही पड़ता है जिसने अंजाने में उसे ख़रीद लिया होता है। अपने जीवन भर की जमा पूंजी के साथ पूरे परिवार का जीवन दांव पर लग जाता है। बिल्डर तो अपना मुनाफ लेकर पार हो जाता है।
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